Thursday, February 25, 2010

जब तुम्हारे साथ पीता हूँ
मैं तुम्हारा साथ पीता हूँ
तौबा कर लेता हूँ भूल से
तौबा को भूलकर पीता हूँ
जीने को बीमार पीते होंगे
मैं पीने के लिये जीता हूँ
पीने का क्या खास दिन
हर शब हर रोज़ पीता हूँ
जाम भरकर खिसका भी दे
बुरा माने बगैर पीता हूँ
कैसे भी कोई पिलाये कभी
मैं बड़ी खुशी से पीता हूँ
बहिस्त मे पियाले हों न हों
मुँह से चुल्लू लगाके पीता हूँ

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