भगवान मीर,
चचा ग़ालिब,
मियाँ दाग,
अंकल फ़िराक,
दादा फ़ैज़,
मस्त जिगर,
भइया मजाज़
..और भी तमाम हैं जो जिम्मेदार हैं कुछ अच्छा बन पड़ा हो तो !
Sunday, February 21, 2010
मानता हूँ नहीं मै किसी की ये बात तुमने ठीक ही की है अपने बीमार को छोड़ दिया क्या खूब चुन के दवा की है भँवरे का कसूर नहीं इसमे फ़ूल की खामोश रज़ा भी है गुनाह तो होना ही चाहिये आखिर इश्क मे मजा भी है सब कुछ बुरा नहीं शराब में अरे ज़ाहिद इसमे नशा भी है
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