भगवान मीर,
चचा ग़ालिब,
मियाँ दाग,
अंकल फ़िराक,
दादा फ़ैज़,
मस्त जिगर,
भइया मजाज़
..और भी तमाम हैं जो जिम्मेदार हैं कुछ अच्छा बन पड़ा हो तो !
Saturday, March 6, 2010
जिनकी सादगी पे मर मिटे हैं आके पूछते हैं कौन मर गया लोगों ने सरे दार मुझे देखा उनका उठा के मैं सर गया रसूख देखिये मेरे कातिल का ये इल्ज़ाम भी मेरे सर गया खींच के मेरे ही बगल से छुरी वो शोख वार हमी पे कर गया
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
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