न बाँधो ज़ोर से मुट्ठी ज़िन्दगी रेत है फ़िसल जायेगी
कब्र की ओर नहीं तो बता ज़िन्दगी किधर जायेगी
जैसे ओस की बूँद है कांपती हुई घास की नोंक पर
ये ज़िंदगी बस एक हवा के झोंके से बिखर जायेगी
हारने को कुछ नहीं और जीतने को दुनिया पड़ी है
फिर नहीं कोई और बाज़ी अब इससे बेहतर आएगी
ज़िंदगी दरिया की मौज औ तिनके सी हस्ती अपनी
चाहें न चाहें हम ये तो ले ही जायेगी जिधर जायेगी
कब्र की ओर नहीं तो बता ज़िन्दगी किधर जायेगी
जैसे ओस की बूँद है कांपती हुई घास की नोंक पर
ये ज़िंदगी बस एक हवा के झोंके से बिखर जायेगी
हारने को कुछ नहीं और जीतने को दुनिया पड़ी है
फिर नहीं कोई और बाज़ी अब इससे बेहतर आएगी
ज़िंदगी दरिया की मौज औ तिनके सी हस्ती अपनी
चाहें न चाहें हम ये तो ले ही जायेगी जिधर जायेगी
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