कहा कुछ भी नहीं किसी ने और सुन लिया हमने
मन ही मन में न जाने क्या क्या गुन लिया हमने
मुश्किल है हकीकत में बिना ख़्वाबों के जी पाना
इक अभी टूटा ही था फिर दूसरा बुन लिया हमने
शायद न हो वही हस्र उस राह पर इस बार मिसिर
दिल के छलावे में फिर उसी को चुन लिया हमने
मन ही मन में न जाने क्या क्या गुन लिया हमने
मुश्किल है हकीकत में बिना ख़्वाबों के जी पाना
इक अभी टूटा ही था फिर दूसरा बुन लिया हमने
शायद न हो वही हस्र उस राह पर इस बार मिसिर
दिल के छलावे में फिर उसी को चुन लिया हमने
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