Thursday, August 9, 2012

रास्ते यहाँ सबको खूब भरमाते रहे

खुद तो पड़े रहे दुनिया चलाते रहे

मंजिल तक कौन यहाँ पहुँच पाया

लोग राह पर खड़े पता बताते रहे

सबको सुधारने का ठेका ले लिया

वो इस बहाने से वहाँ आते जाते रहे

हमें भी कभी चैन से सोने न दिया

आते जाते दरवाजा खटखटाते रहे

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