यूँही दिन गुज़र गया रात यूँही ढल गई
बच बच के हमसे ज़िन्दगी निकल गई
कहना तो दूर जो कभी सोची तक नहीं
उनको वो बात कुछ ज्यादा ही खल गई
कल वहीं नासेह से मुलाकात क्या हुई
तौबा तो की थी पर तबीयत मचल गई
बच बच के हमसे ज़िन्दगी निकल गई
कहना तो दूर जो कभी सोची तक नहीं
उनको वो बात कुछ ज्यादा ही खल गई
कल वहीं नासेह से मुलाकात क्या हुई
तौबा तो की थी पर तबीयत मचल गई