Saturday, May 18, 2013

खराब है अगर तो सूरत बदलिए हुज़ूर 
हासिल भला आईना तोड़ने से क्या होगा 
दरिया उफन के बन गया है बाढ़ अब तो 
चुल्लू चुल्लू भर उलीचने से क्या होगा 
उस राह पर उस तरफ मंजिल है ही नहीं 
और तेज और तेज दौड़ने से क्या होगा 
दिल अगर हो तो फ़रियाद भी सुने शायद 
पत्थरों पे पटक सर फोड़ने से क्या होगा 

Wednesday, January 16, 2013

कुछ भी करने को तैयार नहीं हैं 
खाली हैं मगर हम बेकार नहीं हैं 
माना कि दौर मुश्किलों का है 
नासाज़ हैं मगर लाचार नहीं हैं 
हमने पहले भी कई सूरज देखे हैं 
और अँधेरे भी पहली बार नहीं हैं  
न चारागर चाहिए न दवा अभी 
कमजोर तो हैं पर बीमार नहीं हैं