ऐसे भी लोग थे जो रास्ते पर बैठ के पहुँच गए |
वरना सड़कों पर दौड़ते तो रहे बहुत से लोग |
तारीख जब भी करवट ले रही थी इतिहास में |
इंकलाबियों को कोसते तो रहे बहुत से लोग |
बावजूद तकलीफों के लोग कहाँ पहुँच गए |
परेशानियों को सोचते तो रहे बहुत से लोग |
अपने जैसे ही कुछ नाम किताबों में दर्ज हैं |
माथे से लगाकर पूजते तो रहे बहुत से लोग |
भगवान मीर, चचा ग़ालिब, मियाँ दाग, अंकल फ़िराक, दादा फ़ैज़, मस्त जिगर, भइया मजाज़ ..और भी तमाम हैं जो जिम्मेदार हैं कुछ अच्छा बन पड़ा हो तो !
Wednesday, January 22, 2014
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